समेकित सहकारी विकास परियोजना (आई.सी.डी.पी.) 

समेकित सहकारी विकास परियोजना: सहकारिता विभाग, बिहार, पटना के अंतर्गत समेकित सहकारी विकास परियोजना, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली द्वारा सम्पोषित योजना है, जिसके द्वारा बिहार राज्य के सहकारी क्षेत्रों को ढ़ाचागत सुविधा उपलब्ध कराने तथा सहकारिता को सबल बनाने हेतु राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है। बिहार राज्य में यह योजना वर्ष 2001 से प्रारंभ की गई है। प्रत्येक जिला में परियोजना की निर्धारित अवधि पाँच वर्षों की होती है।

पूर्व से ही सहकारिता को ग्रामीणों की आर्थिक, सामाजिक विकास एवं उत्थान का एक सशक्त माध्यम के रुप में स्वीकार किया गया हैइस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के सहयोग से राज्य में अभी पाँच (05) जिलों यथा कैमूर, खगड़िया, शिवहर, नालंदा एवं वैशाली में समेकित सहकारी विकास परियोजना कार्यान्वित की जा रही है तथा सात (09) जिलों यथा बक्सर, सासाराम, गोपालगंज, मधुबनी, गया, सीतामढ़ी, आरा, छपरा एवं सीवान में परियोजना पूर्ण हो चुकी हैपरियोजना द्वारा ग्रामीणों का सर्वांगीण विकास निरंतर परिलक्षित हो रहा है।

समेकित सहकारी विकास परियोजना (आई.सी.डी.पी.) 
समेकित सहकारी विकास परियोजना (आई.सी.डी.पी.)

समेकित सहकारी विकास परियोजना के माध्यम से ग्रामीणों को कृषि उपादान एवं उत्पादित वस्तुओं के संग्रह हेतु परियोजना अंतर्गत चयनित जिला के विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियों विशेष कर पैक्स तथा व्यापार मंडल में अधिसंरचना निर्माण (गोदाम-सह-कार्यालय) के अलावे उत्पादित वस्तुओं के विपणन की व्यवस्था की जाती है ताकि सदस्य अपने उत्पादित वस्तुओं का सही व्यवसाय कर उचित मूल्य प्राप्त कर सकें एवं बिचौलियों तथा साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो सकें। परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर व्यवसाय विकास एवं सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षण के माध्यम से मानव संसाधन का विकास करना हैसाथ ही मत्स्य पालन, बुनकर, मधुमक्खी पालन, कुकुट पालन, बकरी पालन, कृषि प्रसंस्करण, महिला विकास आदि क्षेत्रों का भी सहकारी समितियों के माध्यम से समुचित विकास करना इसके उद्देश्यों में शामिल है ताकि समितियों के सदस्यों में स्वरोजगार एवं स्वावलंबन को बल मिले

समेकित सहकारी विकास परियोजना का उद्देश्य | INTEGRATED COOPERATIVE DEVELOPMENT PROJECT

  • सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का उत्थान
  • भौतिक अधिसंरचना का निर्माण
  • ग्राम स्तर पर उत्पादित वस्तुओं के भंडारण एवं विपणन की व्यवस्था
  • उत्पादित वस्तुओं का सही व्यवसाय एवं उचित मूल्य प्राप्त कराना
  • ग्रामीणों को बिचौलियों तथा साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराना
  • समितियों के सदस्यों में स्वरोजगार एवं स्वावलंबन को बल देना
  • विभिन्न प्रकार की सहकारी समिति के सदस्यों को प्रशिक्षित करना
  • सहकारी समिति के व्यवसाय विकास (खाद, बीज, कीटनाशक दवाएं, अधिप्राप्ति, बंधक, उपभोक्ता, उपभोक्ता ऋण आदि) को बढ़ावा देना
  • कृषि प्रसंस्करण हेतु कम्पोजिट प्रोसेसिंग यूनिट एवं गैसीफायर आधारित चावल मिल की स्थापना
  • एग्री क्लिनीक की स्थापना
  • पैक्सों में जमा वृद्धि योजना को बढ़ावा देना
  • मत्स्य पालन, बुनकर, मधुमक्खी पालन, कुकुट पालन, बकरी पालन, कृषि प्रसंस्करण, महिला विकास आदि क्षेत्रों का भी सहकारी समितियों के माध्यम से समुचित विकास करना

समेकित सहकारी विकास परियोजना लागू करने की प्रक्रिया

  • जिला की सहकारी समितियों से संबंधित 3 वर्षों का अद्यतन प्रतिवेदन प्राप्त करना।
  • सरकार द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर परियोजना आच्छादन हेतु जिला का चयन एवं एन. सी.डी.सी. की स्वीकृति प्राप्त करना।
  • निगम द्वारा स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त विभाग द्वारा विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डी.पी.आर.) तैयार करने हेतु सलाहकार संस्था का चयन कर निगम की स्वीकृति प्राप्त करना।
  • निगम द्वारा सलाहकार संस्था की नियुक्ति की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त निगम द्वारा निर्धारित शर्तों के आधार पर विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार कराना।
  • सलाहकार संस्था द्वारा तैयार विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन की समीक्षा निबंधक, सहयोग समितियाँ / प्रधान सचिव के स्तर पर करने के उपरान्त स्वीकृति हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली को प्रेषित करना।
  • एन.सी.डी.सी., नई दिल्ली से स्वीकृत परियोजना पर सरकार स्तर से राज्य योजना प्राधिकृत समिति एवं मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति प्राप्त करना।
  • तदोपरांत विभाग द्वारा जिला में परियोजना कार्यान्वयन हेतु संकल्प निर्गत करते हुए राशि निकासी की कार्रवाई एवं जिला स्तर पर परियोजना कार्यान्वयन दल (पी.आई.टी.) का गठन करना।

परियोजना के वित्त पोषण का पैटर्न

  • राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली से राज्य सरकार को ऋण एवं अनुदान मद में राशि प्राप्त होती है।
  • निगम द्वारा राज्य सरकार को प्रतिपूर्ति (Reimbursement) के आधार पर राशि प्राप्त होती है।
  • राज्य सरकार द्वारा चयनित समितियों को चक्रीय पूंजी (Revolving Capital) तथा अनुदान के रुप में राशि विमुक्त की जाती है।
  • स्थापनादि व्यय के लिए अनुदान मद में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम एवं राज्य सरकार का अनुपात 50:50 का होता है।

समेकित सहकारी विकास परियोजना का उद्देश्य

  • पैक्स में 100/200/500 MT क्षमता का गोदाम निर्माण
  • व्यापार मंडलों में 200/250/500 MT क्षमता का गोदाम निर्माण
  • पैक्स/व्यापार मंडल के पुराने गोदामों की मरम्मति
  • समिति स्तर पर कृषि प्रसंस्करण हेतु कम्पोजिट प्रोसेसिंग यूनिट एवं गैसीफायर आधारित चावल मिल की स्थापना
  • समिति स्तर पर मिट्टी एवं जल जाँच हेतु एग्री क्लिनीक की स्थापना
  • महिला समूह / स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिला विकास, बुनकर, कुकुट, मधुमक्खी, मत्स्य, बकरी पालन आदि क्षेत्रों का विकास
  • जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक को आर्थिक सहायता
  • चयनित समितियों को व्यवसाय विकास यथा खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि विपणन, अधिप्राप्ति, बंधक, उपभोक्ता, उपभोक्ता ऋण आदि के लिए मार्जिन मनी के रुप में राशि उपलब्ध कराना
  • चयनित समितियों में गहन प्रशिक्षण के माध्यम से मानव संसाधन का विकास
  • चयनित समितियों में सौर/ गैसीफायर आधारित उर्जा के माध्यम से ग्रामीण विधुतीकरण को बढ़ावा देना
  • चयनित समितियों में कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र को बढ़ावा देना
  • दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना
  • जैविक कृषि को बढ़ावा देने हेतु वर्मी कम्पोस्ट इकाईयों की स्थापना
  • ई सेन्टर की स्थापना कर विश्व बाजार से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना

परियोजना कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु गठित कमिटी

  • राज्य स्तरीय समन्वय समिति – प्रधान सचिव, सहकारिता विभाग की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समन्वय समिति गठित है।
  • जिला स्तरीय समन्वय समिति – जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति गठित है।
  • कार्मिक चयन समिति – निबंधक, सहयोग समितियाँ की अध्यक्षता में कार्मिक चयन समिति गठित है।

समेकित सहकारी विकास परियोजना का कार्यान्वयन

  • परियोजना के कार्यान्वयन हेतु मुख्यालय स्तर पर निबंधक, सहयोग समितियाँ, बिहार, पटना के अधीन एक अनुश्रवण कोषांग गठित है। जिसके प्रमुख राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी होते हैं, जो संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियाँ स्तर के पदाधिकारी होते हैंइनके अलावे सहायक अनुश्रवण पदाधिकारी एवं अन्य कार्यालय कार्मिक पदस्थापित होते हैं।
  • जिला स्तर पर परियोजना कार्यान्वयन हेतु परियोजना कार्यान्वयन दल (PIT) का गठन किया जाता है, जिसके प्रमुख महाप्रबंधक होते हैं तथा उनके अधीन प्रबंधक साख, विकास पदाधिकारी, कनीय अभियंता एवं अन्य कार्यालय कार्मिक पदस्थापित होते हैं।

समेकित सहकारी विकास परियोजना से संबंधित बिहार सरकार कि वेबसाइट

समेकित सहकारी विकास परियोजना के बारे मे ज्यादा लेने के लिए बिहार सरकार कि वेबसाइट को देखें
http://cooperative.bih.nic.in

सहकारी समिति का निबंधन: http://epacs.bih.nic.in/societyreg

पैक्स के सदस्य बनने हेतु: http://mobapp.bih.nic.in/EPACSMember

Consolidated Report Of Farmer Registration For Paddy Procurement (धान अधिप्राप्ति किसानों के निबंधन से संबंधित समेकित प्रगति प्रतिवेदन )

Progress Summary Report of Paddy Procurement ( धान अधिप्राप्ति संबंधित प्रगति प्रतिवेदन )

Bank Wise Payment Details of Paddy Procurement ( धान अधिप्राप्ति संबंधित बैंकवार भुगतान संबंधित प्रतिवेदन)

ये भी देखें:
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गेहूं की खेती कैसे करें
कैसे करें पपीता की खेती
मूंगफली की खेती कैसे करे
सहजन की खेती कैसे करे
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कैसे करें नींबू की खेती | लेमन व लाइम

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